बहुत समय पहले की बात है। एक बार एक जंगल में एक शेर का परिवार रहता था एक दिन शेर और शेरनी जंगल में शिकार करने के लिए चले गये और अपने छोटे छोटे बच्चो को गुफा में अकेला छोड़ गये।
आधा दिन बीत गया लेकिन शिकार ना मिलने के कारण से शेर और शेरनी वापिस नहीं आ पाए उधर गुफा में शेर के शावक भूख के कारण तड़फ रहे थे। तभी वहां से बकरियों का एक समूह गुजर रहा था उनमे से एक बकरी ने देखा कि शेर के शावक भूख से परेशान हो रहे थे।
उससे यह देखा नहीं गया और वह शेर के शावकों अपना दूध पिलाने लगी उसे शावकों को दूध पिलाते शाम हो गयी और तभी वहा पर शेर और शेरनी आ गए और शेर को लगा की बकरी उसके शावकों को नुकसान पहुंचा रही है और ऐसा समझ कर वह गुस्से में लाल हो गया।
वह बकरी पर हमला करने के लिए आगे बड़ा उसे ऐसा करता देख शावक उसके सामने आ गये और वह शेर को समझाने लगे की बकरी ने तो उन्हें अपना दूध पिला कर उनकी जान बचाई है।
ऐसा सुनकर शेर एक दम शांत हो गया बकरी को धन्यवाद कर उसे जंगल में ही अपने साथ रह कर आजादी से घूमने को कहा और बकरी इसके लिए मान गई और उनके साथ रहने लगी।
एक दिन जब बकरी शेर के साथ खेल रही थी तभी उसे वहां से गुजरते समय एक बाज़ ने उसे देखा और वह बड़ा हैरान हुआ और बकरी के पास आ कर उसका कारण पूछा और बकरी ने उसे पूरा वृतांत सुनाया और उसे सुन कर बाज़ ने भी बकरी की तरह किसी सहायता करने की सोचा और वहाँ से चला गया।
उसने एक चूहे के बच्चे को एक नदी में डूबता हुआ देखा और वह उसे नदी से बाहर निकाल कर लाया और उसकी जान बचाई लेकिन पानी में भीगने के कारण उसे ठण्ड लग रही थी तभी बाज़ ने उसे अपने पँखो के नीचे ढक दिया थोड़ी देर में ही पँखो की गरमाहट के कारण से चूहा सूख गया और थोड़ी देर में बाज़ उसके ऊपर से उठ गया बाज़ ने देखा कि चूहे के बच्चे ने अंदर से उसके पँख कुत्तर दिये।
ऐसा उसे कुछ समझ नहीं आया और वह सीधा बकरी के पास गया और उसे पूरा वृतांत सुनाया और उसे सुनने के बाद बकरी ने उसे समझाया कि अगर दरियादिली दिखानी है तो शेर पर दिखाओ, चूहे पर नहीं।
बकरी की दरिया दिली |