एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में रामकुमार नाम का एक लड़का अपने पिता, मुकेश, के साथ रहता था। मुकेश एक मजदूर था और बड़ी मेहनत से अपने परिवार का पालन पोषण करता था। वो अपने बेटे को बेहतर जीवन देने के लिए हर संभव प्रयास करता रहता था।
लेकिन रामकुमार, अपने दोस्त के पिता की धन-संपत्ति और शिक्षा से बहुत प्रभावित था। वो हमेशा अपने पिता की तुलना दोस्त के पिता से करता और अपने पिता को कोसते हुए कहता “मेरे दोस्त के पिता के पास इतनी धन दौलत हैं, अच्छी शिक्षा है और उनका रहन सहन हमारे से कितना अच्छा हैं। आपने पुरी ज़िंदगी काम कर के भी मुझे अभी तक एक अछि साइकिल तक नहीं दिलाई, काश मैं भी उनके घर में पैदा होता तो मेरे पास भी सबकुछ होता”
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यह सुन मुकेश मन ही मन दुःखी होता और अपने बेटे को अच्छी ज़िंदगी देने के लिए अच्छी जिंदगी देने के लिये और ज़्यादा प्रयास करता था।
एक दिन, रामकुमार और उसके दोस्त पास ही के गांव में मेला देखने के लिए गए मेले में वे खेलने और मजे करने में व्यस्त थे। अचानक, उनसे एक लड़के को धका लग गया और वो गिर पड़ा जब उन्होंने उसे देखा तो उसके नाक और मुँह से खून आ रहा था। उसके दोस्तों ने अचानक उसे छोड़ दिया और वहां से भाग गए।
देखते ही देखते वहां लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और सब रामकुमार को दोषी ठहराने लगे। इतने में वहां मुकेश के पिता पहुंच गए और तुरंत उस लड़के को उठा कर हॉस्पिटल ले गए।
रामकुमार बहुत घबराया हुआ था और उसे अपने दोस्तों का गुस्सा भी आ रहा था के मेरे दोस्त इस मुश्किल समय में वहां से भाग गए। मुकेश को देखकर उसके पिता ने पूछा “कहाँ गए वो तुम्हारे धन दौलत वाले दोस्त ?“
रामकुमार वहाँ उदास और असहाय महसूस कर रहा था। लेकिन उसके ने कहा, “बेटा, मैं शायद तेरे दोस्तों के पिता जितना धनी नहीं हूँ, पर मैं सदैव तेरी सहायता करने के लिए यहाँ हूँ। ये धन और शिक्षा सब कुछ नहीं होती, बेटा। परिवार का साथ और समर्पण ही वास्तविक धन होता है।”
रामकुमार ने गहराई से उसके पिता के आँखों में देखा और उसे समझ गया कि वह उसे कितना प्यार करते हैं। वह अपनी गलती को स्वीकार करते हुए अपने पिता के पैरों में गिर पड़ा और कहा, “माफ कर दो पिताजी, मैं आपको व्यर्थ में ही कोसता रहता था। “
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि धन और शिक्षा महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन परिवार का साथ, समर्पण और प्यार सबसे महत्वपूर्ण होता हैं। हमेशा अपने परिवार के महत्व को समझें।